Nirman Shramik Kalyan Yojana 2026: निर्माण श्रमिकों के बच्चों को ₹40,000 तक स्कॉलरशिप आवेदन प्रक्रिया

Nirman Shramik Kalyan Yojana 2026: भारत में भवन निर्माण व अन्य निर्माण कार्यों से जुड़े हजारों-लाखों श्रमिक प्रतिदिन मेहनत करते हैं, लेकिन अक्सर उन्हें और उनके परिवारों को सामाजिक-आर्थिक सुरक्षा की कमी महसूस होती है। ऐसी स्थिति में सरकारों द्वारा समय-समय पर कल्याण योजनाएँ बनायी जाती हैं जो इन श्रमिकों व उनके आश्रितों को सहारा देती हैं। निर्माण श्रमिक कल्याण योजना (Nirman Shramik Kalyan Yojana) इसी दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है।
यह योजना विशेष रूप से उन निर्माण श्रमिकों-के बच्चों के लिए बनी है, जिनके माता-पिता निर्माण या भवन-कार्य में लगे हैं और जिनकी आर्थिक स्थिति सामान्य रूप से चिंता का विषय है। विज्ञान-ईमानदारी से कहें, जब बच्चे स्कूल, कॉलेज या प्रोफेशनल कोर्स नहीं कर पाते क्योंकि संसाधन-कमज़ोर होते हैं, तो इस तरह की योजना उन्हें आगे बढ़ने का मौका देती है।
इस लेख में हम जानेंगे कि यह योजना क्या है, इसके लाभ क्या हैं, कौन पात्र है, आवेदन कैसे करें और किन दस्तावेज़ों की जरूरत है — ताकि यदि आप या आपका कोई परिचित श्रमिक वर्ग में हैं तो आप इसे पूरी तरह समझकर लाभ उठा सकें।
निर्माण श्रमिक कल्याण योजना का ओवरव्यू
| बिंदु | विवरण |
|---|---|
| योजना का नाम | निर्माण श्रमिक कल्याण योजना (Nirman Shramik Kalyan Yojana) |
| उद्देश्य | निर्माण श्रमिकों-के बच्चों को शिक्षा-सहायता देना तथा कल्याण सुनिश्चित करना |
| मुख्य लाभ | स्कॉलरशिप/शैक्षणिक सहायता – कक्षा 6-PG तक, प्रोफेशनल कोर्स तक लाभ |
| पात्र लाभार्थी | निर्माण या भवन-कार्य श्रमिक पंजीकृत माता-पिता के बच्चे |
| सहायता राशि | ₹2,000 प्रति वर्ष से लेकर ₹40,000 प्रति वर्ष तक (राज्य/स्तर के अनुसार) |
| अधिकतम लाभार्थी संख्या | प्रति परिवार अधिकतम 2 बच्चों को लाभ मिलता है |
| दस्तावेज़ | श्रमिक पंजीकरण प्रमाण, बैंक खाता, आधार कार्ड, शैक्षणिक अंक-पत्र आदि |
| आवेदन माध्यम | ऑनलाइन पोर्टल / ऑफलाइन फॉर्म – संबंधित राज्य बोर्ड द्वारा |
| राज्य उदाहरण | ओडिशा (Odisha) – मॉडल राज्य के रूप में |
निर्माण श्रमिक कल्याण योजना क्या है?
निर्माण श्रमिक कल्याण योजना, मूलत: भवन व अन्य निर्माण कार्य से जुड़े श्रमिकों-के बच्चों को शिक्षा-संबंधित सहायता देने के लिए लागू की गई है। Nirman Shramik Kalyan Yojana (Odisha) में यह सहायता स्कॉलरशिप के रूप में दी जा रही है — बच्चों को कक्षा 6 से लेकर प्रोफेशनल कोर्स तक पाठ्यक्रम-अनुसार वित्तीय सहायता मिलती है।
यानी, जहाँ अधिकांश निर्माण श्रमिकों के बच्चे आर्थिक दिक्कत के कारण आगे की पढ़ाई या प्रोफेशनल पढ़ाई नहीं कर पाते, वहाँ यह योजना उन्हें आधार-सहायता देती है ताकि वे शिक्षा में निरंतर बने रहें। उदाहरणतः ओडिशा के सूत्रों में बताया गया है कि कक्षा 10 के बाद यदि विद्यार्थी 90 % अंक प्राप्त करते हैं तो एक-बार की नकद सहायता भी मिलेगी।
निर्माण श्रमिक कल्याण योजना के उद्देश्य
इस योजना के प्रमुख उद्देश्य निम्न हैं:
- निर्माण श्रमिक वर्ग के बच्चों को शिक्षा-अवसर देना ताकि उनका भविष्य दायित्व-मुक्त और सशक्त हो सके।
- आर्थिक बाधाओं के कारण शिक्षा बीच में छूटने की समस्या को कम करना।
- परिवार-की सामाजिक-आर्थिक स्थिति को सुधारना जिससे श्रमिकों-के परिवारों का कल्याण हो सके।
- राज्य-स्तर पर श्रमिक कल्याण नीतियों को प्रभावी बनाना और निर्माण-क्षेत्र के श्रमिकों को मुख्यधारा में लाना।
लाभ (Benefits)
योजनाओं के लाभ, राज्य-अनुसार भिन्न हो सकते हैं। ओडिशा में इसे स्कॉलरशिप-आधारित मॉडल के तहत लागू किया गया है, जिसमें निम्न-प्रकार हैं:
- कक्षा 6-7 (केवल लड़कियों के लिए) – लगभग ₹2,000 प्रति वर्ष।
- कक्षा 8 – लगभग ₹2,000 प्रति वर्ष, और 8वीं से आगे लड़कियों को अतिरिक्त 20 % लाभ।
- कक्षा 9 – लगभग ₹3,000 प्रति वर्ष।
- कक्षा 10 – लगभग ₹4,000 प्रति वर्ष।
- प्रोफेशनल कोर्स (जैसे B.Tech/MBA/Medical) – उदाहरण के लिए ओडिशा में इस श्रेणी में ₹40,000 प्रति वर्ष तक सहायता।
इन लाभ-मानों से स्पष्ट है कि योजना का फोकस सिर्फ शुरूआती स्तर की शिक्षा नहीं बल्कि आगे की पढ़ाई तक श्रमिकों-के बच्चों को प्रेरित करना है।
पात्रता (Eligibility)
पात्र होने के लिए सामान्यतः निम्न‐शर्तें लागू होती हैं (राज्य-अनुसार अलग-हो सकती हैं):
- लाभार्थी भारत का नागरिक और संबंधित राज्य में निवासी होना चाहिए।
- माता या पिता को निर्माण या भवन-कार्य से संबंधित श्रमिक के रूप में पंजीकृत होना चाहिए।
- लाभार्थी विद्यार्थी कम-से-कम कक्षा 6 में पढ़ रहा हो। कुछ राज्यों में कक्षा 8 से लाभ शुरू।
- एक-परिवार में अधिकतम दो बच्चों को इस योजना के अंतर्गत लाभ मिल सकता है।
- शैक्षणिक उपस्थिति (उदाहरणार्थ कम-से-कम 50 % उपस्थिति) और पिछले उत्तीर्ण परीक्षा का अंकमानदंड हो सकता है।
आवश्यक दस्तावेज़ (Documents Required)
आवेदन करते समय आमतौर पर निम्न दस्तावेज़ प्रस्तुत करने होते हैं:
- निर्माण श्रमिक पंजीकरण प्रमाणपत्र (Parents)
- विद्यार्थी का आधार कार्ड व माता-पिता का आधार-संलग्न पहचान-प्रमाण
- बैंक खाता विवरण – पासबुक/चेक-कॉपी, IFSC सहित
- विद्यार्थी के पिछले अंक-पत्र / स्कूल-प्रमाणपत्र
- निवास प्रमाणपत्र (State domicile)
- फोटो-पासपोर्ट साइज आदि
आवेदन प्रक्रिया (How to Apply)
इस तरह की योजना में आवेदन प्रक्रिया सरल बनाई जाती है ताकि ज्यादा-से-ज्यादा लाभार्थी जुड़ सकें। उदाहरण के रूप में ओडिशा मॉडल में बताया गया है:
- ओडिशा राज्य के वेब-पोर्टल पर nirmanshramik.odisha.gov.in लिंक पर जाना।
- नया यूजर रजिस्ट्रेशन करना – आधार मोबाइल आदि के साथ।
- लॉग-इन कर के व्यक्तिगत, शैक्षणिक व बैंक-विवरण भरना।
- दस्तावेज़ अपलोड करना या संबंधित कार्यालय में जमा करना।
- सत्यापन के बाद राशि सीधे बैंक खाते में DBT के माध्यम से ट्रांसफर होती है।
यदि किसी राज्य में ऑफलाइन आवेदन की व्यवस्था है तो फॉर्म संबंधित निर्माण श्रमिक बोर्ड/ कार्यालय से प्राप्त कर के जमा किए जा सकते हैं।
निष्कर्ष
निर्माण श्रमिक कल्याण योजना श्रमिकों के बच्चों को ‘शिक्षा की चाबी’ देने की दिशा में एक बेहद उपयोगी कदम है। जब माता-पिता निर्माण-कार्य में लगे हों और दैनिक आय-व्यय में व्यस्त हों, तब ऐसे समय में इस तरह की सहायता से बच्चों का शिक्षा-पथ बाधित नहीं होता।
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हालाँकि, यह भी महत्वपूर्ण है कि आवेदन समय पर किया जाए, दस्तावेज़ सही हों, और विद्यार्थी अपनी उपस्थिति व अंकमानदंड पूरा करें — क्योंकि शर्तें पूरी न होने पर लाभ छूट सकता है। यदि आप निर्माण श्रमिक वर्ग से हैं तो इस योजना की जानकारी अपने आसपास व परिवार में बाँटें और बच्चों की बेहतर पढ़ाई सुनिश्चित करें। शिक्षा ही वह निवेश है जो अगली पीढ़ी को सशक्त बनाती है — इस योजना के माध्यम से वह निवेश संभव बन रहा है।


